परीचय..

बहुत दिनो से ये तमन्ना थी कि हिन्दी और उर्दू मे लिखी हुयी कविताओ को दुनिया तक पहुचाऊ. एक मंच पेश करु जहाँ सिर्फ मै नही सारी दुनिया जब चाहे उसका आनन्द ले सके. एक छोटी सी कोशिश.

शुरुआत महादेवी वर्मा के इन वाक्यो से, जो मुझे अपनी बचपन की याद दिलाता है..

हँस देता जब प्रातः सुनहरे
आंचल मे बिखराकर रोली
लहरो की बिछलन पर जब
मचली पडती किरने भोली

तब कलियाँ चुपचाप उठाकर
पल्लव के घुँघट सुकुमार
छलकी पलको से कहती है
कितना मादक है सँसार !!

- महादेवी वर्मा

.

.

Like on Facebook कविताये

.

यदि आपके पास खुद की लिखी या फिर दुनिया के किसी भी कवि की कविताओ का सँग्रह है, कृपया यहाँ पोस्ट करें.
If you have poetry written by yourself or collection of poems by great poets of India or around the world, please post it here.